मनोविज्ञान क्या है?,मनोविज्ञान की उत्पत्ति-कुलदीप सारस्वत(मनोवैज्ञानिक लेखक)

  नोविज्ञान क्या है?


मनोविज्ञान के अंग्रेजी पर्याय साइकोलॉजी (Psychology) शब्द की उत्पत्ति यूनानी (ग्रीक) भाषा के साइकी (Psyche) और लोगस(Logos) से हुई है। साइकी का अर्थ है 'आत्माऔर लोगस का अर्थहै 'अध्ययन' अतः मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है 'आत्मा काअध्ययन'


अमरीकी विद्वान विलियम जेम्स (1842-1910) ने मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र के शिकंजे से मुक्त कर एक स्वतंत्र विद्या का रूप दिया। इसलिए इन्हे मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।

*मनोवैज्ञानिक नोट्स व किसी भी प्रकार की सहायता के लिए यंहा क्लिक करे


 


मनोविज्ञान की उत्पत्ति


मनोविज्ञान की उत्पत्ति दर्शनशास्त्र के अंग के रूप में हुई। कालान्तर में मनोविज्ञान के अर्थ में परिवर्तन होता गया। जो इस प्रकार है :

1. आत्मा का विज्ञान : अरस्तूप्लेटो,अरिस्टोटल और डेकोर्टे  आदि यूनानी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को आत्मा का विज्ञान माना, किन्तु आत्मा की प्रकृति की अस्पष्टता के कारण 16वीं शताब्दी में मनोविज्ञान का यह अर्थ अस्वीकृत कर दिया गया।


TRICK-"आत्मा से आप यू अड़े"
1
. आत्मा से-इन सभी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को आत्मा काविज्ञान माना
2.
 -अरस्तू (दार्शनिक)
3.
 -प्लेटो (दार्शनिक)
4.
 यू-यूनानी दार्शनिक थे सभी
5
. -अरिस्टोटल (दार्शनिक)
6
. डे-डेकार्टे (दार्शनिक)

 


मस्तिष्क का विज्ञान 


मस्तिष्क का विज्ञान : 17वीं शताब्दी में दर्शनीको ने मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क का विज्ञान कहा। इनमेइटली के प्रसिद्ध दार्शनिकपॉम्पोनॉजी के अलावा लॉक और बर्कली भी प्रमुख है। कोई भी विद्वान मन की प्रकृति तथा स्वरुप का निर्धारण नही कर सका, अतः यह परिभाषा भी मान्यता नही पा सकी।


TRICK-"पलक की बाई मस्ति में"
1.
 -पॉम्पोनॉजी (दार्शनिक)
2.
 लक-लॉक (दार्शनिक)
की-silent
3
. बा-बर्कली (दार्शनिक)
4
. इटली-यह इटली के प्रसिद्ध दार्शनिक थे
5
. मस्ति-इन सभी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को मस्तिष्क का विज्ञानमाना

 

 चेतना का विज्ञान 


चेतना का विज्ञान : 19वीं शताब्दी के मनोविज्ञानकों विलियम वुन्ट,विलियम जेम्सवाइव्स और जेम्स सल्लीआदि ने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञान माना। इनका मानना था, कि मनोविज्ञान मनुष्य की चेतन क्रियाओ का अध्ययन करता है।
मनोविज्ञान केवल चेतन मन का ही नही, बल्कि अचेतन और अवचेतन आदि प्रक्रियाओ का अध्ययन भी करता है। मनोविज्ञान का यह अर्थ सीमित होने के कारण सर्वमान्य हो सका। मैक्डूगल ने अपनीपुस्तक 'आउटलाइन साइकोलॉजी' में चेतना शब्द की कड़ीआलोचना की।


TRICK-"चेतना को विलियम ने सजवाइ"
1.
 चेतना-इन सभी दार्शनिको ने मनोविज्ञान को चेतना का विज्ञानमाना
को-silent
2
. विलियम-विलियम वुन्ट
ने-silent
3.
 -सल्ली अर्थात जेम्स सल्ली (दार्शनिक)
4
. -जेम्स अर्थात विलियम जेम्स (दार्शनिक)
5.
 वाइ-वाइव्स (दार्शनिक)

 


व्यवहार का विज्ञान 


व्यवहार का विज्ञान : 20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दौर में मनोविज्ञान के अनेक अर्थ सुझाए गए, इनमे से "मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान है।" अर्थ सर्वाधिक मान्य रहा। इस सम्बन्ध में कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्नलिखित है :
1. 
वाटसन : मनोविज्ञान, व्यवहार का निश्चित विज्ञान है।
2. 
वुडवर्थ : मनोविज्ञान वातावरण के सम्बन्ध में व्यक्ति की क्रियाओ का वैज्ञानिक अध्ययन है।
3. 
स्किनर : मनोविज्ञान, जीवन की सभी प्रकार की परिस्थितियों में प्राणी की प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। or
मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है।


4. 
मन : आधुनिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।
5. 
क्रो  क्रो : मनोविज्ञान मानव व्यवहार और मानव सम्बन्धो का अध्ययन है।
6. 
मैक्डूगल : मनोविज्ञान जीवित वस्तुओ के व्यवहार का विधायक विज्ञान है।

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर हम वुडवर्थ के शब्दों में इस निष्कर्ष पर पहुँचते है :
"
सबसे पहले मनोविज्ञान ने अपनी आत्मा का त्याग किया। फिरउसने अपने मन या मस्तिष्क का त्याग किया। उसके बाद उसनेचेतना का त्याग किया। अब वह व्यवहार की विधि को स्वीकारकरता है।"


TRICK-सिवम (शिवमव्यवहार में वुड (लकड़ी/wood सा कठौर)के जैसा"
1.
 सि-स्किनर (दार्शनिक)
2.
 -वाटसन (दार्शनिक)
3.
 -मन (दार्शनिक)
4
. व्यवहार-इन सभी ने मनोविज्ञान को व्यवहार का विज्ञान माना
5.
 में-मैक्डूगल (दार्शनिक)
6.
 वुड-वुडवर्थ (दार्शनिक)
7.
 के-क्रो  क्रो (दार्शनिक)
जैसा-silent

 


शिक्षा मनोविज्ञान का शाब्दिक अर्थ है


शिक्षा सम्बन्धी मनोविज्ञान अर्थात यह शिक्षा की प्रक्रिया में मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ का विश्लेषण करने के लिए स्किनर ने निम्नलिखित तथ्य प्रस्तुत किए है :
1. 
शिक्षा मनोविज्ञान का केंद्र मानव व्यवहार है।
2. 
शिक्षा मनोविज्ञान खोज और निरिक्षण से प्राप्त तथ्यों का संग्रह करता है।
3. 
शिक्षा मनोविज्ञान संगृहीत ज्ञान को सिद्धान्त रूप देता है।
4. 
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की समस्याओ के समाधान के लिए पद्धतियों का प्रतिपादन करता है।

 


शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएँ :


1. स्किनर : शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत शिक्षा से सम्बन्धित सम्पूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व जाता है।
2. क्रो  क्रो : शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सिखाने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।
3. कॉलसनिक : शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धान्तों और अनुसन्धान का शिक्षा में प्रयोग है।
4. स्टीफन : शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षणिक विकास का क्रमिक अध्ययन है।
5. सॉरे  टेलफ़ोर्ड : शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध सिखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है, जो शिक्षा  के मनोवैज्ञानिक पहलुओ की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से सम्बन्धित है।

 

उपर्युक्त  परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता हैकी :

1. शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक परिस्थितियों में मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।
2. 
शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को अधिक सरल सुगम बनाता है।
3. 
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है, क्योंकि इसके अध्ययन में वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग होता है।

4. शिक्षा मनोविज्ञान में मनोविज्ञान के सिद्धांतो विधियों का प्रयोग होता है।

 


शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य :


स्किनर ने शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्यों को दो भागो में विभाजितकिया है-

1. सामान्य उद्देश्य : 
(i). 
सिद्धांतो की खोज तथा तथ्यों का संग्रह करना।
(ii). 
बालक के व्यक्तित्व का विकास करना।
(iii). 
शिक्षण कार्य में सहायता देना।
(iv). 
शिक्षण विधि में सुधार करना।
(v). 
शिक्षा के उद्देश्य लक्ष्यों की पूर्ति करना।


2. विशिष्ट उद्देश्य : 
(i). 
बालको के प्रति निष्पक्ष सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण।
(ii). 
शिक्षा के स्तरों उद्देश्यों को निश्चित करना।
(iii). 
शिक्षण परिणाम जानने में सहायता करना।
(iv). 
छात्र व्यवहार को समझने में सहायता देना।
(v). 
शिक्षण समस्या के समाधान हेतु सिद्धांतो का ज्ञान।

 


शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र :


शिक्षा मनोविज्ञान एक नवीन एवं विकासशील व्यावहारिक विज्ञान है। इसलिए शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की सीमाएँ अभी निर्धारित नही हो सकी है।


शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का वह विज्ञान है जो शिक्षण-अधिगम समस्याओं का अध्ययन करके सीखने वाले के व्यवहार में वांछित परिवर्तन है तथा व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करने के लिए शिक्षक के कार्य में सहायता देता है। इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित अध्ययन सामग्री को सम्मिलित किया गया है-
1. 
बालक की विशेष योग्यताओं का अध्ययन।
2. 
बालक के वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन।
3. 
बालक के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन।
4. 
बालक की रूचि अरुचि का अध्ययन।
5. 
बालक की मूल प्रवत्तियों का अध्ययन।


6. 
बालक के सर्वांगीण विकास का अध्ययन।
7. 
अपराधी, असामान्य और मंद बुद्धि बालकों का अध्ययन।
8. 
शिक्षण विधियों के उपयोग सम्बन्धी अध्ययन।
9. 
शिक्षा के उद्देश्यों उनको प्राप्त करने के तरीकों का अध्ययन।
10. 
अनुशासन सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन।


11. 
पाठ्यक्रम निर्माण से सम्बन्धित अध्ययन।
12. 
शिक्षा की समस्याओं का अध्ययन।
13. 
सीखने की क्रियाओं का अध्ययन।


निष्कर्ष रूप में स्किनर का कथन द्रष्टव्य है- "शिक्षा मनोविज्ञान केक्षेत्र में वह सब ज्ञान और विधियाँ सम्मिलित हैजो सीखने कीप्रक्रिया से अधिक अच्छी  प्रकार समझने और अधिक कुशलता सेनिर्देशित करने के लिए आवश्यक है।"

 


शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता :


हुए शिक्षा देनी चाहिए। यह तभी संभव होगा जब शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान की जानकारी होगी।

शिक्षण का मुख्य केंद्र बालक है। बालक की रूचि, शारीरिक क्षमता, बौद्धिक क्षमता, व्यक्तित्व आदि को मद्देनजर रखते

स्किनर के अनुसार- "शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों की तैयारी कीआधारशिला है।"

अतः शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की निम्नलिखित उपयोगिताएँ है-
1. 
स्वयं की योग्यता का ज्ञान एवं तैयारी।
2. 
बाल विकास की अवस्थाओं का ज्ञान।
3. 
बाल स्वभाव व्यवहार का ज्ञान।
4. 
बालको की क्षमता रूचि का ज्ञान।
5. 
बालको की अवश्यक्ताओ का ज्ञान।


6. 
बालको के चरित्र निर्माण में सहायक।
7. 
बालको की व्यक्तिगत विभिन्नताओं का ज्ञान।
8. 
बालको के सर्वांगीण विकास में सहायक।
9. 
बालको की मूल प्रवत्तियो का ज्ञान।
10. 
कक्षा की समस्याओ का समाधान।


11. 
अनुशासन में सहायक।
12. 
उपयोगी पाठ्यक्रम के निर्माण में सहायक।
13. 
यथोचित शिक्षण विधियों के प्रयोग का ज्ञान।
14. 
मूल्यांकन की नई विधियों का प्रयोग।

इस प्रकार मनोविज्ञान का ज्ञान ही शिक्षक की सफलता का रहस्य है। इस ज्ञान की प्राप्ति के बिना उसे असफलता और अकुशलता के बीच अपने व्यावसायिक जीवन की यात्रा करनी पड़ती है। इसलिए शिक्षक अपने कर्त्तव्यों और दायित्वों का पालन करने में हर समय मनोविज्ञान से सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त करता है।

 


शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का योगदान :


1. मनोविज्ञान ने शिक्षा को बाल-केंद्रित बनाकर बालक को महत्त्व दिया।
2. 
बालको की विभिन्न अवस्थाओ के अनुरूप शिक्षण विधियों की व्यवस्था की।
3. 
बालको की रुचियों मूल प्रवत्तियो को शिक्षा का आधार बनाया।
4. 
बालको की व्यक्तिगत विभिन्नताओं के अनुसार शिक्षा की व्यवस्था की।


5. 
पाठ्यक्रम का निर्माण बालको की आयु, रूचि स्तरानुसार किया जाने लगा।
6. 
पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओ पर बल दिया गया।
7. 
दण्ड के स्थान पर प्रेम सहानुभूति को अनुशासन का आधार बनाया।
8. 
शिक्षक को शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति हुई या नही, की जानकारी देता है।
9. 
मूल्यांकन के लिए नवीन विधियों की खोज की।

 


मनोविज्ञान के महत्त्वपूर्ण तथ्य 


1. मनोविज्ञान का जन्म अरस्तू के समय दर्शनशास्त्र के अंग के रूप में हुआ।
2.
 वाटसन ने मनोविज्ञान को व्यवहार का शुद्ध विज्ञान माना है।
3. 
विलियम जेम्स को मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।


4. 
जर्मनी के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक विलियम वुन्ट ने 1879 मेंलिपजिंग में प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना करके मनोविज्ञान को वैज्ञानिक स्वरुप दिया।
5. 
वॉल्फ ने शक्ति मनोविज्ञान का प्रतिपादन किया।
6. 
आधुनिक शिक्षा के जनक माने जाते है-जे..स्टिपर

 

 

स्मरणीय बिंदु :
1
. वाटसन को व्यवहारवादी मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।
2. 
रूसो ने शिक्षा में मनोविज्ञानिक दृष्टिकोण की शुरुआत की।
3. 
मनोविज्ञान की शाखा के रूप में शिक्षा मनोविज्ञान का जन्म 1900. में हुआ।
4. 
मनोविज्ञान व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करता है।


5. 
मनोविज्ञान एक विधायक विज्ञान (Positive Science) है।
6. 
प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के जन्मदाता विलियम वुन्ट थे।
7. 
कॉलसनिक शिक्षा मनोविज्ञान का आरम्भ प्लेटो से मानते है।
9. 
स्किनर शिक्षा मनोविज्ञान का आरम्भ अरस्तू से मानते है।

 कुलदीप सारस्वत(मनोवैज्ञानिक लेखक)

👎👎👎👎यू ट्यूब से वीडियो देखने के लिए यंहा क्लिक करे


Post a Comment

0 Comments