अनुसंधान का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं
अनुसंधान का अर्थ अंग्रेजी में अनुसंधान को ‘‘रिसर्च’’ कहा जाता है व दो शब्द से मिलकर बना है रि+सर्च ‘‘रि’’ का अंग्रेजी में अर्थ है बार-बार तथा ‘‘सर्च’’ शब्द का अर्थ है ‘‘खोजना’’। अंग्रजी का यह शब्द अनुसंधान की प्रक्रिया को प्रस्तुत करता है जिसमें शोधार्थी पूर्व किसी तथ्य को बार-बार देखता है जिसके सम्बन्ध में प्रदत्तों को एकत्रित्र करता है तथा उनके आधार पर उसके सम्बन्ध में निष्कर्ष निकालता है।
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अनुसंधान की परिभाषा
1.
जार्ज जे मुले के अनुसार- ‘‘शैक्षिक समस्याओं के समाधान के लिए व्यवस्थित रूप में बौद्धिक ढंग से वैज्ञानिक विधि के प्रयोग तथा अर्थापन को ‘अनुसंधान’ कहते हैं। इसके विपरीत यदि किसी व्यवस्थित अध्ययन के द्वारा शिक्षा में विकास किया जाय तो उसे शैक्षिक अनुसंधान कहते है।’’
2.
मेकग्रेथ तथा वाटसन ने ‘अनुसंधान’ की एक व्यापक परिभाषा दी है :- ‘‘अनुसंधान एक प्रक्रिया है, जिसमें खोज प्रविधि का प्रयोग किया जाता है, जिसके निष्कषोर्ं की उपयोगिता हो, ज्ञान वृद्धि की जाय, प्रगति के लिए प्रोत्साहित करे, समाज के लिए सहायक हो तथा मनुष्य को अधिक प्रभावशाली बना सकें। समाज तथा मनुष्य अपनी समस्याओं को प्रभावशाली ढंग से हल कर सकें।’’
3.
‘रेडमेन एवं मोरी के अनुसार :- ‘‘नवीन ज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित प्रयास ही अनुसंधान है।’’
4.
पी0एम0कुक0 के अनुसार
:- ‘‘अनुसंधान किसी समस्या के प्रति ईमानदारी, एवं व्यापक रूप में समझदारी के साथ की गई खोज है, जिसमें तथ्यों, सिद्धान्तों तथा अर्थों की जानकारी की जाती है। अनुसंधान की उपलब्धि तथा निष्कर्ष प्रामाणिक तथा पुष्टियोग्य होते हैं जिससे ज्ञान में वृद्धि होती है।’’
अनुसंधान की सामान्य विशेषताएं
1.
अनुसंधान की प्रक्रिया से नवीन ज्ञान की वृद्धि एवं विकास किया जाता है।
2.
इसमें सामान्य नियमों तथा सिद्धान्तों के प्रतिपादन पर बल दिया जाता है।
3.
इसमें विश्वसनीय तथा वैध प्रविधियों को प्रयुक्त किया जाता है।
4.
यह तार्किक तथा वस्तुनिष्ठ प्रक्रिया है।
5.
अनुसंधान की प्रक्रिया में प्रदत्तों के आधार पर परिकल्पनाओं की पुष्टि की जाती है।
6.
अनुसंधान की प्रक्रिया वैज्ञानिक, व्यवस्थित तथा सुनियोजित होती है।
अनुसन्धान-प्रक्रिया के चरण
शोध एक प्रक्रिया है जो कई चरणों से होकर गुजरती है। शोध प्रक्रिया के प्रमुख चरण ये हैं-
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(१) अनुसन्धान समस्या का निर्माण
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(२) समस्या से सम्बन्धित साहित्य का व्यापक सर्वेक्षण
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(३) परिकल्पना (हाइपोथीसिस) का निर्माण
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(४) शोध की रूपरेखा/शोध प्रारूप (रिसर्च डिज़ाइन) तैयार करना
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(५) आँकड़ों एवं तथ्यों का संकलन
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(६) आँकड़ो / तथ्यों का विश्लेषण और उनमें निहित सूचना/पैटर्न/रहस्य का उद्घाटन करना
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(७) प्राक्कल्पना की जाँच
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(८) सामान्यीकरण (जनरलाइजेशन) एवं व्याख्या
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(९) शोध प्रतिवेदन (रिसर्च रिपोर्ट) तैयार करना
शोध कार्य सम्पन्न करने हेतु विभिन्न प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है अतः शोध के कई प्रकार होते हैं जैसे-
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मात्रात्मक अनुसंधान (क्वांटिटेटिव रिसर्च)
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गुणात्मक अनुसंधान (क्वालिटेटिव रिसर्च)
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विवरणात्मक अनुसंधान (डिस्क्रिप्टिव रिसर्च)
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विश्लेषणात्मक अनुसंधान (एनालिटिकल रिसर्च)
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अनुप्रयुक्त अनुसंधान (अप्लायड रिसर्च)
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आधारभूत अनुसंधान (फण्डामेन्टल रिसर्च)
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अवधारणात्मक अनुसंधान (कॉन्सैप्चुअल रिसर्च)
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नैदानिक अनुसंधान (डायग्नोस्टिक
/ क्लीनिकल रिसर्च)
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ऐतिहासिक अनुसंधान (हिस्टोरिकल रिसर्च)
महत्व
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शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है तथा ज्ञान भण्डार को विकसित एवं परिमार्जित करता है।
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शोध जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति (Curiosity Instinct) की संतुष्टि करता है।
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शोध से व्यावहारिक समस्याओं का समाधान होता है।
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शोध पूर्वाग्रहों के निदान और निवारण में सहायक है।
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शोध अनेक नवीन कार्यविधियों व उत्पादों को विकसित करता है।
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शोध ज्ञान के विविध पक्षों में गहनता और सूक्ष्मता लाता है।
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शोध से व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है
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अनुसन्धान हमारी आर्थिक प्रणाली में लगभग सभी सरकारी नीतियों के लिए आधार प्रदान करता है।
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अनुसन्धान के माध्यम से हम वैकल्पिक नीतियों पर विचार और इन विकल्पों में से प्रत्येक के परिणामों की जांच कर सकते हैं।
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अनुसन्धान, सामाजिक रिश्तों का अध्ययन करने में सामाजिक वैज्ञानिकों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। शोध सामाजिक विकास का सहायक है।
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यह एक तरह का औपचारिक प्रशिक्षण है।
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अनुसन्धान नए सिद्धांत का सामान्यीकरण करने के लिए हो सकता है।
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अनुसन्धान नई शैली और रचनात्मकता के विकास के लिए हो सकता है।
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