शिक्षा मनोविज्ञान की पुस्तकें व लेखक
Q.1 Outline psychology के लेखक हैं ?
Ans. विलियम मैक्डुगल
Q.2 Empiricism के लेखक हैं ?
Ans. जॉन लाॅक
Q.3 Emile के लेखक हैं ?
Ans. रुसो
Q.4 principles of
psychology के लेखक हैं ?
Ans. विलियम जेम्स
Q.5 Principles of
Behaviour के लेखक हैं ?
Ans. क्लार्क हल
Q.6 Pedogogical Seminary के लेखक हैं ?
Ans. स्टेनलेस हॉल
Q.7 A Theoretical
Basis of Human Behaviour के लेखक हैं ?
Ans. क्लार्क हल
Q.8 Purpose Behaviour in
Animal and Man के लेखक हैं ?
Ans. टालमैन
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Q.9 The Behaviour of
Organism के लेखक हैं ?
Ans. स्किनर
Q.10 Phenomena के लेखक हैं ?
Ans. मैक्स बर्दिम
Q.11 Production
Thinking के लेखक हैं ?
Ans. मैक्स बर्दिमर
Q.12 Principles of
Gestalt Psychology के लेखक हैं ?
Ans. कोफ्ता
Q.13 Gestalt Psychology के लेखक हैं ?
Ans. कोहलर
Q.14 Field Theory and
Learning के लेखक हैं ?
Ans. कुर्तलेविन
Q.15 The
Behaviouristic Interpretation of Consciousness के लेखक हैं ?
Ans. के.एल. लैशले
Q.16 The Process of
Education के लेखक हैं ?
Ans. जेरोम ब्रूनर
Q.17 Motivation -Theory
and Research के लेखक हैं ?
Ans. कोफर तथा एपल
Q.18 The Language of
the thoughts of the child के लेखक हैं ?
Ans. जीन पियाजे
( प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक )
कोफ्का:- जन्म 18 मार्च 1886 को जर्मनी में हुआ तथा निधन 22 नवम्बर 1941 को 55 वर्ष की आयु में हुआ था।
कोहलर:- जन्म 21 जनवरी 1887 को जर्मनी में हुआ तथा निधन 11 जून 1967 को हुआ।
वर्दीमर:- जन्म 15 अप्रेल 1880 को आस्ट्रिया में हुआ तथा निधन 12 अक्टूबर 1943 को हुआ। सन् 1912 में मैक्स वर्दीमर, कोफ्का और कोहलर ने ‘सूझ या अन्तरदृष्टि का सिद्धान्त’ या ‘गेस्टाल्ट सिद्धान्त’ का प्रतिपादन किया।
गेस्टाल्ट शब्द जर्मनी का है जिसका अर्थ है—समग्र आकृति। इस सिद्धान्त के अन्तर्गत सुल्तान नामक वन मानुष पर प्रयोग किये गये।गेस्टाल्टवाद का जन्मदाता मैक्स वर्दीमर को कहा जाता है
रोर्शा :- जन्म 8 नवम्बर 1884 को ज्यूरिख, स्वीट्जरलैण्ड में हुआ तथा निधन 1 अप्रेल 1922 को हुआ। स्वीस मनोचिकित्सक ‘हरमन रोर्शा’ ने स्याही के धब्बों वाला परीक्षण (प्रक्षेपण विधि) का निर्माण 1921 (”Psychodiagnostik” नामक पुस्तक लिखकर में) में किया।
परीक्षार्थी को दस स्याही के धब्बों पर प्रतिक्रिया करनी होती है। रोर्शा परीक्षण का व्यक्तित्व मापन के लिए प्रयोग किया जाता है।
·
जन्मजात प्रेरक (जैविक या शारीरिक प्रेरक)—भूख, प्यास, निद्रा, काम आदि। इन्हें प्राथमिक प्रेरक भी कहते हैं।
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अर्जित प्रेरक—ये अर्जित किए जाते हैं। जैसे—व्यक्तिगत रुचि, आदत की विवशता, जीवन का लक्ष्य, सामूहिकता की भावना आदि।
फ्रोबेल :- जन्म 21 अप्रेल 1782 को जर्मनी में हुआ तथा निधन 21 जून 1852 को हुआ। जर्मन शिक्षाशास्त्री फ्रोबेल ‘किंडर गार्टन शिक्षा प्रणाली’ को प्रारंभ करने वाले के रूप में जाने जाते हैं। इन्होंने खेल द्वारा शिक्षा एवं स्व क्रिया द्वारा शिक्षा के सिद्धान्त पर बल दिया।
बी. एफ. स्किनर:~ जन्म 20 मार्च 1904 को अमेरिका में हुआ तथा निधन 18 अगस्त 1990 को हुआ। इन्होंने सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांन्त दिया जिसे क्रिया-प्रसूत अनुबंधन भी कहते है इन्होंने ने अपने प्रयोग चूहे और कबूतर पर किये।
रूसो- जन्म 28 जून 1712 को जेनेवा में हुआ तथा निधन 2 जुलाई 1778 को फ्रांस में हुआ। शिक्षा में मनोवैज्ञानिक आन्दोलन का सूत्रपात करने का श्रेय रूसो को है। उन्होंने अपनी पुस्तक एमिली में एक काल्पनिक बालक की शिक्षा का वर्णन किया है।
वाटसन- जन्म 9 जनवरी 1878 को अमेरिका में हुआ तथा निधन 25 सितम्बर 1958 को हुआ। वाटसन को व्यवहारवाद का जनक कहा जाता है। ‘तुम मुझे कोई भी बालक दो और मैं उसे कुछ भी बना सकता हूँ।’
थार्नडाइक- जन्म 31 अगस्त 1874 को अमेरिका में हुआ तथा निधन 9 अगस्त 1949 को हुआ। थार्नडाइक को ‘पशु मनोविज्ञान’ का पितामह कहा जाता है।
थार्नडाइक ने भूखी बिल्ली पर प्रयोग कर सीखने के क्षेत्र में ‘प्रयास एवं त्रुटि सिद्धान्त’ को प्रतिपादित किया। इन्होंने सीखने के तीन मुख्य नियम एवं पाँच गौण नियमों का प्रतिपादन किया।
जीन पियाजे- जन्म 9 अगस्त 1896 को स्वीट्जरलैण्ड में हुआ तथा निधन 16 सितम्बर 1980 को हुआ। पियाजे के संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त के अनुसार सीखना उस समय अर्थपूर्ण होता है ?जबकि विद्यार्थी की रुचि और कौतूहल के अनुरूप होता है।
मैक्डूगल- जन्म 22 जून 1871 को इंग्लैण्ड में हुआ तथा निधन 28 नवम्बर 1938 को अमेरिका में हुआ। मनोविज्ञान जीवित वस्तुओं के व्यवहार का विधायक विज्ञान है। इन्होंने मूल प्रवृत्ति एवं संवेगों के बारे में बताया।
प्लेटो- जन्म 46 ईसा पूर्व हुआ प्लेटो की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सत्य का साक्षात्कार है। शिक्षा प्रणाली में अनुकरण को विशेष महत्त्व दिया।
पावलॉव- जन्म 26 सितम्बर 1849 को रूस में हुआ तथा निधन 27 फरवरी 1936 को हुआ। रूसी शरीर शास्त्री पावलॉव ने कुत्ते पर प्रयोग कर ‘शास्त्रीय अनुबन्धन का सिद्धान्त’ (Classical Conditioning Theory) प्रतिपादित किया।
भारत में शिक्षा से संबंधित प्रमुख समितियों और आयोगों का गठन कब किया गया?
भारत में शिक्षा को लेकर होने वाले प्रयासों की कहानी का एक सिरा आज़ादी के पूर्व के ब्रिटिश हुकूमत वाले दिनों की तरफ जाता है तो दूसरा सिरा स्वतंत्रता मिलने के बाद की कहानी से जुड़ा हुआ है।
शिक्षा से जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर विचार करने के लिए समय-समय पर कई शिक्षा आयोगों का गठन किया गया, मगर जिस आयोग ने शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर समग्रता से विचार किया उसमें 14 जुलाई 1964 में बने कोठारी कमीशन का जिक्र किया जाता है। जैसे साल 1948-49 में बनी राधाकृष्णनन् कमीशन ने केवल उच्च शिक्षा पर विचार किया। वहीं मुदालियर कमीशन ने केवल माध्यमिक शिक्षा पर विचार किया।
भारत में स्वतंत्रता पूर्व बनी शिक्षा समितियां/आयोग
1. कलकत्ता विश्वविद्यालय परिषद – साल 1818
2. चार्ल्सवुड समिति – 1824 – इसे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है
3. डब्लू डब्लू हंटर शिक्षा आयोग – 1882-1883 – भारत में महिला शिक्षा का विकास करना
4. सर थॉमस रैले आयोग – साल 1902 – इसी आयोग की रिपोर्ट पर 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित किया गया
5. एम ई सैडलर आयोग – 1917 – स्कूली शिक्षा को 12 वर्ष करने का सुझाव दिया गया।
6. सर फिलिप हार्टोग समिति – साल 1929 – इसमें व्यावसायिक व औद्योगिक शिक्षा पर जोर दिया गया
7. सर जॉन सार्जेण्ट समिति – साल 1944 – इसमें 6 से 11 साल की उम्र तक के बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा की बात कही गई।
भारत में स्वतंत्रता के बाद बनी शिक्षा समितियां और आयोग
1. डॉ. एस. राधाकृष्णनन् आयोग – साल 1948-49 – विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्थापना।
2. मुदालियर शिक्षा आयोग – साल 1952-53 – इसे माध्यमिक शिक्षा आयोग भी कहा जाता है
2. राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर पुनर्विचार – 1992 – एक सजग व मानवतावादी समाज के लिए शिक्षा का इस्तेमाल। इसे आचार्य राममूर्ति समिति भी कहा जाता है।
3. एम. बी. बुच समिति – साल 1989 – दूरस्थ शिक्षा माध्यम पर बनी पहली शिक्षा समिति।
4. जी.राम रेड्डी समिति – साल 1992 – दूरस्थ शिक्षा पर केन्द्रीय परामर्श समिति
5. प्रोफ़ेसर यशपाल समिति – 1992 – बोझमुक्त शिक्षा की संकल्पना
6. रामलाल पारेख समिति – 1993 – बीएड पत्राचार समिति
7. प्रो. खेरमा लिंगदोह समिति – 1994 – पत्राचार बीएड अवधि 14 माह तय की गई
8. प्रो. आर टकवाले समिति – साल 1995 – सेवारत अध्यापकों हेतु पत्राचार से बीएड
9. राष्ट्रीय ज्ञान आयोग – 2005 – ज्ञान आधारित समाज की संकल्पना व प्राथमिक स्तर से अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा को अनिवार्य करने की सिफारिश की गई
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