परीक्षाओं के डर को दूर भगाएं - कुलदीप सारस्वत 8433288661


 

एक छात्र:

अपनी याददाश्त को सुधारने के लिए हम कौन से उपाय अपना सकते हैं और परीक्षा के डर पर काबू कैसे पा सकते हैं?

सद्‌गुरु:

परीक्षा का डर? आप सही सवाल पूछ रहे हैं, और सही इंसान से पूछ रहे हैं जिसे कभी परीक्षा का कोई डर नहीं था। मेरे पिता की सबसे बड़ी चिंता यही थी कि मुझे परीक्षा का कोई डर नहीं था। वह कहते, ‘इस लड़के को कोई डर ही नहीं है। इसका क्या करें?’

कहीं न कहीं से समाज में यह धारणा प्रचलित है कि डर एक तरह का गुण है। डर कोई गुण नहीं है। डर आपको सबसे बदसूरत प्राणी बना देता है। आपके जीवन का सबसे अप्रिय और खराब अनुभव शायद डर ही है। सिर्फ इसी चीज के अभाव ने मेरी जिंदगी को बहुत ही सुखद बना दिया क्योंकि डर हमेशा किसी ऐसी चीज का होता है, जो अभी तक घटित नहीं हुई है, जिसका अभी कोई अस्तित्व ही नहीं है। 'क्या होगा'- यह डर है।

नकल करें या नहीं?

अगर आप नकल करना जानते हैं, मैंने सुना है कि कई जगहों पर शिक्षक ऐसी चीजों को बढ़ावा देते हैं! मुझे नहीं लगता कि जीवन के इस चरण में आपको अपना जीवन छल से शुरू करना चाहिए। मैं ईमानदारी की बात नहीं कर रहा हूं, मैं यह कह रहा हूं कि आप जीवन के साथ सीधा और सरल रहना सीख सकें, ताकि कल आप छोटी-छोटी बातों पर परेशान न हो जाएं। कम अंक पा कर भी आप यह समझ सकते हैं कि - मैं ऐसा ही हूं। मुझे सिर्फ पैंतीस मिले, ठीक है। इससे मेरे जीवन की गुणवत्ता तय नहीं होगी।

मैं चाहता हूं कि आप इस बात को समझें कि आपके जीवन की गुणवत्ता इस बात से तय नहीं होगी कि आपको कितने अंक मिले हैं।

नकल करने के बाद आप अच्छे अंक कभी प्राप्त नही कर सकते हो इसलिए इस कपट से हमेसा दुरी बनाये रखें .

परीक्षा में घबराएं नहीं, डर के आगे जीत है!

ऐसे मिलेगी तनाव से दूर रहने में मदद

परीक्षा के दौरान छात्रों को किन बातों का खयाल रखना चाहिए, इस पर मनोवैज्ञानिक डॉ. हरीश शेट्टी कहते हैं, 'छात्रों को जितना हो सके उतना ही पढ़ना चाहिए। सिलेबस पूरा करने के चक्कर में नहीं रहना चाहिए, बल्कि जितना पढ़ा हो उसे पक्का करने पर जोर देना चाहिए। इसी तरह परीक्षा के दौरान क्वेस्चन पेपर देखकर घबराएं नहीं, बल्कि जो सवाल अच्छे से आते हों, उनके जवाब पहले लिखें। परीक्षा के दौरान छात्रों को अपनी डायट और नींद का भी खयाल रखना चाहिए। 8 घंटे की नींद छात्रों के लिए बेहद जरूरी होती है। तनाव से दूर रहने में भी मददगार होती है। छात्रों को इन दिनों फोन, कंप्यूटर, गैजट्स के साथ ज्यादा समय नहीं बिताना चाहिए। खासतौर से सोने से पहले इनसे बिल्कुल दूर रहना चाहिए। हां, लगातार पढ़ाई करने के बाद 30 मिनट का ब्रेक भी बेहद जरूरी होता है।'

अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं

थोड़े अंक ज्यादा या कम पाने से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आप कितना सीखते हैं और कितना समझते हैं, इससे बहुत फर्क पड़ता है। फिलहाल, उसी पर ध्यान दीजिए। बहुत सारे विद्यार्थी बस किताब को निगल जाते हैं और परीक्षा में जाकर बस उसकी उल्टी कर देते हैं। परीक्षा खत्म होने के बाद, वे बिल्कुल साफ-सुथरे और बेदाग होते हैं। उनके अंदर शिक्षा का कोई लेश बचा नहीं होता। हो सकता है कि यह परीक्षा के नजरिए से अच्छी बात हो, मगर आपके लिए, समाज के लिए या दुनिया के लिए अच्छी बात नहीं है। अपने साथ ऐसा न करें। जब तक आप स्कूल से बाहर आते हैं, तब तक आपको ज्यादा से ज्यादा चीजें सीख लेनी चाहिए। मैं चाहता हूं कि आप जानकार बनें, काबिल बनें और सक्षम बनें ताकि कल जब आप दुनिया में कदम रखें, तो आप अपने जीवन के साथ कोई समझदारी का काम कर पाएं।

   तनाव को कहें "गुड बाय" :

जी हां, आपको तनाव को अलविदा कहना ही होगा। क्योंकि अपने मस्तिष्क में तनाव के साथ आप बेहतर ढंग से पढ़ाई नहीं कर पाएंगे और ना ही परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाएंगे।

परीक्षा के दिनों में तनाव का होना बहुत स्वाभाविक सी बात है। हममें से ज्यादातर लोग परीक्षा से बहुत डरते हैं और जैसे-जैसे यह दिन नजदीक आते हैं वैसे-वैसे हमारी घबराहट बढ़ती जाती है।

मित्रों दरिया घबराहट का होना कोई बुरी बात नहीं है। यह सभी प्राकृतिक मानवीय भावनाएं हैं जिनसे होकर हमें गुजरना ही पड़ता है। इसके साथ ही डर एक प्रकार से आवश्यक भी है क्योंकि डर होगा तभी तो आप बेहतर प्रदर्शन करने के लिए, मेहनत करने के लिए प्रेरित होते रहेंगे।

लेकिन स्थिति तब खराब हो जाती है जब आप इस डर को अपने ऊपर हावी होने देते हैं और दुर्भाग्यवश ज्यादातर बच्चों के साथ यही होता है। परीक्षा का भय धीरे-धीरे इतना बढ़ जाता है की बच्चे तनाव अथवा अवसाद की चपेट में आने लगते हैं।

इसका कारण आसपास हो रही प्रतियोगिता, पढ़ाई का बढ़ता दबाव, अच्छे अंक लाने का मानसिक दबाव इत्यादि है। यह तनाव बच्चों की मन में नकारात्मकता को जन्म देता है और उन्हें केवल मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी प्रभावित कर सकता है।

ऐसे में हो सकता है कि आप बीमार पड़ जाए या फिर आप अपनी पढ़ाई में से शत प्रतिशत उत्पादकता हासिल नहीं कर पाएं।

अभिभावकों के लिए सलाह :

मित्रों, परीक्षा की जितनी जिम्मेदारी बच्चों पर होती है उतनी ही उनके माता-पिता पर भी होती है। परीक्षा का दिन केवल बच्चों की नहीं, बल्कि माता-पिता की भी परीक्षा का दिन होता है।

ऐसे में बच्चों की परीक्षा में आपकी भूमिका और आपका योगदान बहुत बड़ा है। लेकिन कई बार माता - पिता अपनी भूमिका को नकारात्मक रूप दे देते हैं। जहां एक तरफ माता-पिता को बढ़-चढ़कर अपने बच्चे का हौसला बढ़ाना चाहिए, वहीं वह अपने बच्चों पर अच्छे अंक लाने का दबाव बनाने लगते हैं।

उम्मीद के कारण माता-पिता अपने बच्चों को सदैव कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं लेकिन हमें पता नहीं चलता कि कब हमारी प्रेरणा दबाव का रूप ले लेती है ।

समय प्रबंधन:

किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने का पहला नियम टाइम मैनेजमेंट होता है. आप अच्छे नंबर पाने के लिए टाइम मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दें. जो टॉपिक हमें आते हैं, उनको हम अक्सर दोहराने के लिए पूरा समय नहीं देते. ये गलती न करें, बल्कि विषय के लिए बराबर का समय न‍िश्चि‍त करें.

नोट्स बनाएं:

यह जांचा और परखा हुआ नियम है. नोट्स हमेशा आपकी मदद करेंगे. जब भी आप पढ़ें या रिवीजन करें तो ध्यान से उसके नोट्स बनाते चलें.

 

सैंपल पेपर:

ज्यादातर मौके पर हर कोई आपको सैंपल पेपर हल करने की सलाह देता होगा. यह काफी कारगर हो सकता हैं. पिछले कुछ सालों के प्रश्नपत्रों को आप इकठ्ठा... कर कई सवालों को जान सकते हैं. उन प्रश्नों को हल करें इससे आपके अंदर विश्वास पैदा होगा. साथ ही सिलेबस भी पूरा किया जा सकेगा. क्या पता कई सवाल कई सवाल उनमें से ही आ जाएं.

टालें नहीं:

'कल करें सो आज कर, आज करे सो अब' इस कहावत को हमेशा याद रखें. अक्सर बच्चे पढ़ाई टालते हैं और बाद में पूरा सिलेबस देखकर दवाब में आ जाते हैं. अधूरा काम बाद में करने से आपके रिजल्ट पर असर पड़ता है. प्रतिदिन लक्ष्य निर्धारित करें और उसी के हिसाब से तैयारी शुरू करें.

 

कुलदीप सारस्वत

8433288661


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