परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण, किसी भी राज्य की पात्रता परीक्षा में कम से कम दो प्रश्न अवश्य
अधिगम अक्षमता
अधिगम अक्षमता अर्थ और परिभाषा
अधिगम अक्षमता पद दो अलग – अलग पदों अधिगम अक्षमता से मिलकर बना है। अधिगम शब्द का आशय सीखने से है तथा अक्षमता का तात्पर्य क्षमता के अभाव या क्षमता की अनुपस्थिति से है। अर्थात सामान्य भाषा में अधिगम अक्षमता का तात्पर्य सीखने क्षमता अथवा योग्यता की कमी या अनुपस्थिति से है।
अधिगम अक्षमता पद का सर्वप्रथम प्रयोग
1963 ई. में सैमुअल किर्क द्वारा किया गया था
अधिगम अक्षमता की प्रकृति एवं विशेषताएँ:-
1. अधिगम अक्षमता आंतरिक होती है।
2. यह स्थायी स्वरुप का होता है अर्थात यह व्यक्ति विशेष में आजीवन विद्यमान रहता है।
3. यह कोई एक विकृति नहीं बल्कि विकृतियों का एक विषम समूह है।
4. इस समस्या से ग्रसित व्यक्तियों में कई प्रकार के व्यवहार और विशेषताएँ पाई जाती है।
5. चूंकि यह समस्या केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र की कार्यविरूपता से संबंधित है, अत: यह एक जैविक समस्या है।
6. यह अन्य प्रकार की विकृतियों के साथ हो सकता है, जैसे – अधिगम अक्षमता और संवेगात्मक विक्षोभ तथा
7. यह श्रवण, सोच, वाक्, पठन, लेखन एवं अंकगणिततीय गणना में शामिल मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया में विकृति के फलस्वरूप उत्पन्न होता है, अत: यह एक मनोवैज्ञानिक समस्या भी है।
अधिगम अक्षम बालक
Ø सामान्य और सामान्य से थोड़ा ज्यादा सोचने एवं तर्क करने की योग्यता
Ø औसत विद्यालय उपलब्धि से निम्न का प्रदर्शन
Ø उपलब्धि और योग्यता केबीच में सार्थक अंतर का प्रदर्शन
Ø निष्पादन संबंधी कठिनाई से युक्त।
Ø
उपरोक्त मुख्य लक्षणों के अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी प्रदर्शित कर सकते हैं.जो निम्नलिखित है –
Ø बिना सोचे – विचारे कार्य करना
Ø उपयुक्त आचरण नहीं करना
Ø निर्णयात्मक क्षमता का अभाव
Ø स्वयं के प्रति लापरवाही
Ø भावात्मक अस्थिरता
Ø सामान्य ध्वनियों एवं दृश्यों के प्रति आकर्षण
Ø ध्यान कम केन्द्रित करना या ध्यान का भटकाव
Ø लक्ष्य से आसानी से विचलित होना
Ø
अधिगम अक्षमता का वर्गीकरण
अधिगम अक्षमता एक वृहद् प्रकार के कई आधारों पर विभेदीकृत किया गया है। ये सारे विभेदीकरण अपने उद्देश्यों के अनुकूल हैं। इसका प्रमुख विभेदीकरण ब्रिटिश कोलंबिया (201) एवं ब्रिटेन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक सपोर्टिंग स्टूडेंट्स विद लर्निंग डिएबलिटी ए गाइड फॉर टीचर्स में दिया गया है, जो निम्नलिखित है -
1-डिस्लेक्सिया (पढ़ने संबंधी विकार)
2.डिस्ग्राफिया (लेखन संबंधी विकार)
3.डिस्कैलकूलिया (गणितीय कौशल संबंधी विकार)
4.डिस्फैसिया (वाक् क्षमता संबंधी विकार)
5.डिस्प्रैक्सिया (लेखन एवं चित्रांकन संबंधी विकार)
6.डिसऑर्थोग्राफ़िय (वर्तनी संबंधी विकार)
7.ऑडीटरी प्रोसेसिंग डिसआर्डर (श्रवण संबंधी विकार)
8.विजुअल परसेप्शन डिसआर्डर (दृश्य प्रत्यक्षण क्षमता संबंधी विकार)
9.सेंसरी इंटीग्रेशन ऑर प्रोसेसिंग डिसआर्डर (इन्द्रिय समन्वयन क्षमता संबंधी विकार)
10.ऑर्गेनाइजेशनल लर्निंग डिसआर्डर (संगठनात्मक पठन संबंधी विकार)
डिस्लेक्सिया
डिस्लेक्सिया शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्द डस और लेक्सिस से मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ है कथन भाषा (डिफिकल्ट स्पीच)। वर्ष 1887 में एक जर्मन नेत्र रोग विशेषज्ञ रूडोल्बर्लिन द्वारा खोजे गए इस शब्द को शब्द अंधता भी कहा जाता है। डिस्लेक्सिया को भाषायी और संकेतिक कोडों भाषा के ध्वनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले वर्णमाला के अक्षरों या संख्याओं का प्रतिनिधित्व कर रहे अंकों के संसाधन में होने वाली कठिनाई के रूप में परिभाषित किया जाता है। यह भाषा के लिखित रूप, मौखिक रूप एवं भाषायी दक्षता को प्रभावित करता है यह अधिगम अक्षमता का सबसे सामान्य प्रकार है।
डिस्लेक्सिया के लक्षण -
इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1.वर्णमाला अधिगम में कठिनाई
2.अक्षरों की ध्वनियों को सीखने में कठिनाई
3.एकाग्रता में कठिनाई
4.पढ़ते समय स्वर वर्णों का लोप होना
5. समान उच्चारण वाले ध्वनियों को न पहचान पाना
6. वर्तनी दोष से पीड़ित होना
7. शब्दकोष का अभाव
8. शब्दों को उल्टा या अक्षरों का क्रम इधर – उधर कर पढ़ा जाना, जैसे नाम को मान या शावक को शक पढ़ा जाना
डिस्ग्रफिया:-
डिस्ग्रफिया अधिगम अक्षमता का वो प्रकार है जो लेखन क्षमता को प्रभावित करता है। यह वर्तनी संबंधी कठिनाई, ख़राब हस्तलेखन एवं अपने विचारों को लिपिवद्ध करने में कठिनाई के रूप में जाना जाता है। (नेशनल सेंटर फॉर लर्निंग डिसबलिटिज्म, 2006)।
डिस्ग्रफिया के लक्षण –
इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1.अशुद्ध वर्तनी एवं अनियमित रूप और आकार वाले अक्षर को लिखना
2.लिखते समय स्वयं से बातें करना।
3.लाइनों का ऊपर – नीचे लिया जाना एवं शब्दों के बीच अनियमित स्थान छोड़ना तथा
अपूर्ण अक्षर या शब्द लिखना
4.पठनीय होने पर भी कापी करने में अत्यधिक श्रम का प्रयोग करना
5.लेखन समग्री पर कमजोर पकड़ या लेखन सामग्री को कागज के बहुत नजदीक पकड़ना
6.अपठनीय हस्तलेखन
डिस्कैलकुलिया:-
यह एक व्यापक पद है जिसका प्रयोग गणितीय कौशल अक्षमता के लिए किया जाता है इसके अन्तरगत अंकों संख्याओं के अर्थ समझने की अयोग्यता से लेकर अंकगणितीय समस्याओं के समाधान में सूत्रों एवं सिंद्धांतों के प्रयोग की अयोग्यता तथा सभी प्रकार के गणितीय अक्षमता शामिल है।
डिस्कैलकुलिया के लक्षण – इसके निम्नलिखित लक्षण है –
1.नाम एवं चेहरा पहचनाने में कठिनाई
2.अंकगणितीय संक्रियाओं के अशुद्ध परिणाम मिलना
3.चेकबुक के प्रयोग में कठिनाई
4.अंकगणितीय संक्रियाओं के चिह्नों को समझने में कठिनाई
5.गिनने के लिए उँगलियों का प्रयोग
6.दिशा ज्ञान का अभाव या अल्प समझ
7.नकद अंतरण या भुगतान से डर
8.वित्तीय योजना या बजट बनाने में कठिनाई
डिस्फैसिया:-
ग्रीक भाषा के दो शब्दों डिस और फासिया जिनके शाब्दिक अर्थ अक्षमता एवं वाक् होते हैं से मिलकर बने है, शब्द डिस्फैसिया का शाब्दिक अर्थ वाक् अक्षमता से है। यह एक भाषा एवं वाक् संबंधी विकृति है जिससे ग्रसित बच्चे विचार की अभिव्यक्ति व्याख्यान के समय कठिनाई महसूस करते हैं। इस अक्षमता के लिए मुख्य रूप से मस्तिष्क क्षति (ब्रेन डैमेज) को उत्तरदायी माना जाता है।
डीस्प्रैक्सिया:-
यह मुख्य रूप से चित्रांकन संबंधी अक्षमता की ओर संकेत करता है। इससे ग्रसित बच्चे लिखने एवं चित्र बनाने में कठिनाई महसूस करते हैं।
कुलदीप सारस्वत
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